कभी हँसता खेलता
बच्चों के किलकारियो से गूंजता
मांगलिक गीतों के
गूंजने से पहले
सन्नाटा पसरा
जहाँ एक बूंद पानी को तरसती जिन्दगी
खेत सूखते बारिस के बिना
यह क्या सारा का सारा जलमग्न हो गया
इसमे गूंजती किलकारियां
हँसता खेलता कई परिवार घर से बेघर हो गया
वर्षो से संजोये जो सपने
वो आशियाँ पल मे उजड गया
कभी जो हाँथ फैलाये नही
उसे दूसरो के टुकड़े पर पलना पड़ा
भले खाने रहने का इंतजाम हो गया
कई हाँथ आगे बढे सहयोग के लिए
पर कोसी के कहर ने
हमारे संजोये ख्वाब को रोंद डाला
अब समझ आती है
की आख़िर क्यों बिहार की शोक कहलाती है कोसी ...........
सहयोग .... मुरली मनोहर श्रीवास्तव
बच्चों के किलकारियो से गूंजता
मांगलिक गीतों के
गूंजने से पहले
सन्नाटा पसरा
जहाँ एक बूंद पानी को तरसती जिन्दगी
खेत सूखते बारिस के बिना
यह क्या सारा का सारा जलमग्न हो गया
इसमे गूंजती किलकारियां
हँसता खेलता कई परिवार घर से बेघर हो गया
वर्षो से संजोये जो सपने
वो आशियाँ पल मे उजड गया
कभी जो हाँथ फैलाये नही
उसे दूसरो के टुकड़े पर पलना पड़ा
भले खाने रहने का इंतजाम हो गया
कई हाँथ आगे बढे सहयोग के लिए
पर कोसी के कहर ने
हमारे संजोये ख्वाब को रोंद डाला
अब समझ आती है
की आख़िर क्यों बिहार की शोक कहलाती है कोसी ...........
सहयोग .... मुरली मनोहर श्रीवास्तव