बुधवार, सितंबर 03, 2008

शोक क्यों कहलाती है कोसी


कभी हँसता खेलता
बच्चों के किलकारियो से गूंजता
मांगलिक गीतों के
गूंजने से पहले
सन्नाटा पसरा
जहाँ एक बूंद पानी को तरसती जिन्दगी
खेत सूखते बारिस के बिना
यह क्या सारा का सारा जलमग्न हो गया
इसमे गूंजती किलकारियां
हँसता खेलता कई परिवार घर से बेघर हो गया
वर्षो से संजोये जो सपने
वो आशियाँ पल मे उजड गया
कभी जो हाँथ फैलाये नही
उसे दूसरो के टुकड़े पर पलना पड़ा
भले खाने रहने का इंतजाम हो गया
कई हाँथ आगे बढे सहयोग के लिए
पर कोसी के कहर ने
हमारे संजोये ख्वाब को रोंद डाला
अब समझ आती है
की आख़िर क्यों बिहार की शोक कहलाती है कोसी ...........
सहयोग .... मुरली मनोहर श्रीवास्तव

2 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

एक गंभीर सत्य के साथ शुरुआत,
बहुत अच्छी लगी और उतनी ही सार्थक ...........

रंजन राजन ने कहा…

चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। अच्छा लिखते हैं। सक्रियता बनाए रखें। शुभकामनाएं।
आपके ब्लाग पर आना अच्छा लगा, लेकिन इसका लाल रंग आंखों को चुभता है।