शनिवार, अगस्त 30, 2008

पानी पानी रे ...

जरा सोचिये ...........
कहने के लिए कुछ नही है ॥
........बस सोचिये ...
क्योकि आप इससे जयादा कुछ नही कर सकते ......

" प्रकृति का कहर
फ़िर एक बार
टूट पड़ा
चैन की नींद
सो रहे लोगो का
जल प्रलय से
कलेजा फट पड़ा
बह गई जिसमे उम्मीद
अपने भी बिछड़ गए
तिनको से बना आसियाना
अब बिखर गया
बिलखते बच्चे
पिता का धैर्य
माँ की ममता
तार तार हो गई .........